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Karwa Chauth सुहागिन महिलाओं के लिए एक बहुत ही पवित्र त्यौहार है। इस दिन महिलाऐं Karwa Chauth को पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ मानती है। Karwa Chauth का व्रत कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी (चौथ) को मनाया जाता है।
इस दिन महिलाएं पुरे दिन उपवास रखकर अपने पति की लम्बी आयु के लिए कामना करती है। इस त्यौहार की पवित्रता, श्रद्धा, आस्था, विश्वास और सम्मान के लिए पुरुष भी अपने जीवन साथी की लम्बी उम्र के लिए व्रत रखते है।
इसके अलावा, अविवाहित लड़कियां भी Karwa Chauth का व्रत इसलिए रखती है ताकि उनको भी अपनी पसंद का पति मिल सके। पूरे देश में हर साल Karwa Chauth का व्रत पूरी धूमधाम से मनाया जाता है।
करवा चौथ की शुरुआत कैसे हुई?
Karwa Chauth vrat के बारे में कई पौराणिक कथाएं प्रचलित है। लेकिन यह माना जाता है कि Karwa Chauth व्रत शुरुआत ब्रह्मा जी के कहने पर हुई थी। देवताओं के राजा इन्द्र की पत्नी इन्द्राणी ने इस व्रत की शुरुआत की थी।
यह माना जाता है कि एक बार देवताओं और राक्षसों के बीच एक भयंकर युद्ध हो रहा था। इस युद्ध में राक्षस देवताओं को पूरी टक्कर दे रहे थे। इसलिए, देवताओं को अपनी पराजय होने का डर सताने लगा था।
इसी कारण, देवताओं ने सोचा कि इसका उपाय केवल ब्रह्मा जी ही बता सकते है। उसके बाद, सभी देवता मिलकर ब्रह्मा जी के पास पहुंचे और ब्रह्मा जी से राक्षसों को हराने का उपाय पूछा।
फिर ब्रह्मा जी ने देवताओं को विजयी होने का उपाय बताया कि अगर देवताओं की पत्नियां आने वाली कार्तिक मास की चतुर्थी (chauth) को व्रत रखेगी तो उन्हें अखण्ड सौभाग्य होने की प्राप्ति होगी।
ब्रह्मा जी के कहने पर देवताओं की पत्नियों ने अपने-अपने पतियों की लम्बी उम्र के लिए पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ व्रत रखा। जिसके परिणामस्वरुप, देवताओं ने राक्षसों को युद्ध में बुरी तरह से हराकर विजय प्राप्त की थी।
करवा चौथ के दिन चांद की पूजा क्यों होती है?
Karwa Chauth का व्रत दिवाली से 11 दिन पहले आता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति के अच्छे स्वास्थ्य और लम्बी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखकर शाम को चाँद को देखकर अपना व्रत पूरा करती है।
Karwa Chauth के दिन चाँद का महत्व ओर अधिक बढ़ जाता है क्योंकि जब तक महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य नहीं देती तब तक Karwa Chauth vrat पूरा नहीं माना जाता है।
Karwa Chauth के दिन शाम को सुहागिन महिलाएं छलनी में जलता हुआ दीपक रखकर चाँद को देखती है और उसके बाद अपने पति को छलनी में से देखती है। पति भी अपनी पत्नी को अपने हाथ से पानी और मिठाई खिलाकर Karwa Chauth के व्रत को पूरा करवाते है।
Karwa Chauth 2022 Vrat Katha: करवा चौथ व्रत की कथा यहां पढ़ें
एक शाहकार के सात लड़के और एक करवा नाम की लड़की थी। करवा की शादी हो चुकी थी। लेकिन एक बार करवा कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी (चौथ) को अपने मायके आई हुई थी। अपनी सातों भाभियों के साथ करवा ने भी चौथ का व्रत रखा।
रात्रि के समय सातों भाई भोजन करने लगे तो उन्होंने करवा को भी भोजन करने के लिए कहा। लेकिन करवा ने अपने भाइयों से कहा कि नहीं भाई, आज मैंने chauth का व्रत रखा है। जब चाँद निकलेगा तो मैं चाँद को अर्घ्य देकर ही भोजन करूगीं।
सातों भाई अपनी बहन करवा से बहुत प्रेम करते थे। इसलिए, भूख के कारण अपनी बहन का चेहरा देखकर उनको बहुत दुःख हुआ। अपनी बहन के चेहरे पर प्रसन्नता लाने के लिए वे घर से बाहर चले गए। उन्होंने एक पेड़ पर दीपक जलाकर रख दिया।
सातों भाई घर वापिस आकर अपनी बहन को कहने लगे, देखो बहन, चाँद निकल आया है। अब तुम चाँद को अर्घ्य देकर भोजन कर लो। करवा ने भी अपनी भाभियों को बताया कि चाँद निकल आया है तुम भी चाँद को अर्ध्य देकर भोजन कर लो।
लेकिन भाभियों ने करवा को समझाया कि अभी चाँद निकलने का समय नहीं हुआ है। तुम्हारे भाइयों ने तुझे खाना खिलाने के लिए ऐसी तरकीब अपनाई है। करवा ने अपनी भाभियों की बात नहीं मानी और अर्ध्य देकर भोजन कर लिया।
करवा ने चौथ व्रत को भंग करने के कारण गणेश जी करवा पर अप्रसन्न हो गए। इसी अप्रसन्नता के कारण करवा के पति बीमार हो गए और बीमारी के कारण मौत हो गई। जब करवा को पता चला कि चौथ का व्रत बीच में तोड़ने के कारण यही सब कुछ हुआ है।
फिर करवा ने गणेश जी से माफ़ी मांगी और आगे सभी चौथ के व्रत पूरी श्रद्धा के साथ रखेगी। गणेश जी भी करवा की श्रद्धा-भक्ति देखकर खुश होकर उनके पति को जीवित कर दिया। उसके बाद, करवा अपने पति के साथ धन और वैभव से रहने लगी।
करवा चौथ पूजन विधि सामग्री – करवा चौथ की थाली में क्या क्या होता है?
करवा चौथ का दिन सुहागन महिलाओं के लिए एक खास दिन होता है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला उपवास रखती है।
शाम को विधिवत रूप से पूजा भी करती है। इसलिए, करवा चौथ की पूजा के लिए सामग्री को पहले ही इकट्ठा करके रखना चाहिए।
- करवा चौथ की थाली में एक छलनी होना बहुत जरूरी है क्योंकि छलनी में पहले चंद्रमा को देखा जाता है उसके बाद अपने पति का चेहरा छलनी में देखा जाता है।
- करवा चौथ की थाली में चंद्रमा को अर्घ्य देने के लिए पानी से भरा हुआ लोटा होना जरूरी है।
- करवा चौथ की थाली में सुहागन महिलाओं को सिंदूर रखना जरूरी है और करवा चौथ के दिन सिंदूर से अपनी मांग जरूर भरें।
- करवा चौथ की थाली में मिठाई होना जरूरत है क्योंकि इसका सेवन करवा चौथ के व्रत को तोड़ने के बाद खाया जाता है।